Sunday, February 28, 2010

छत्तीसगढ़ के फाग गीत

सब सँगवारी मन ल होली तिहार के अब्बड़ अकन बधाई । मोर तरफ से आप मन के लिए होली के ये दु ठन गाना प्रस्तुत हे । नीचे  एक ठन दँडा गीत प्रस्तुत हे जेला होली के समय गाय जाथे । बचपन मे हमन हे ये होली के बिहान दिन दँडा नाच ले के दुसर गाँव मे घर -घर नाचे बर जावन । एक झन सियान ह माँदर बजाय अव बाँकी सब लइका मन ह दँडा ल धर के नाचन । घर - घर जाके ये  नाच देखाय मे जतका पइसा आय ओकर साँज किन पार्टी चले । पार्टी मे केवल मिर्चा भाजिया अव समोसा मिले लेकिन ओतकी खाय म जतका पार्टी के मजा आय तइसन मजा आजकल के फाइव स्टार के पार्टी मे नइ आय । खैर ये सब बात ल राहन दे फिलहाल ये ड़डा गीत ये जगा प्रस्तुत हाबे जेकर वजह से हमन ल साल मे एक बार भजिया अव समोसा के पार्टी मनायल मिले ।

बिना बल के जवान

बिना बल के जवान , बिना बल के जवान
फोरे न फूटे सुपलिया ।
कांहा ले मंगाबो रे चुना रे चुना रे चुना ।
कंहवा ले रे पान , कंहवा ले रे पान ।
कांहा ले मंगाबो रे रंड़ी रे रंडी रे रंड़ी ॥
कंहवा के जवान , कंहवा के जवान
फोरे न फूटे सुपलिया ।
बिना बल के जवान , बिना बल के जवान
फोरे न फूटे सुपलिया ।
होली है ...............

कटनी ले मंगाबो रे चुना रे चुना रे चुना ।
रायपुर ले रे पान , रायपुर ले रे पान ।
पटना ले मंगाबो रे रंड़ी रे रंडी रे रंड़ी ॥
धमतरी के जवान , धमतरी के जवान ।
फोरे न फूटे सुपलिया ।
बिना बल के जवान , बिना बल के जवान
फोरे न फूटे सुपलिया ।
होली है ............... 
 _________________________________________

दँडा गीत

तोर अस जोड़ी हो ललना , मोरे अस जोड़ी
कबहू न गढ़े भगवान मोरे ललना ॥

कउन महीना म होही मंगनी अव बरनी ।
कउन महीना म होही मंगनी अव बरनी ।
मंगनी अव बरनी हो ललना , मंगनी अव बरनी ।
मंगनी अव बरनी हो ललना , मंगनी अव बरनी ।
कउन महीना मे बिहाव मोरे ललना ।

माँघ महीना म होही मंगनी अव बरनी ।
माँघ महीना म होही मंगनी अव बरनी ।
मंगनी अव बरनी हो ललना , मंगनी अव बरनी
मंगनी अव बरनी हो ललना , मंगनी अव बरनी
फागुन महीना मे बिहाव मोर ललना ॥

कोरवन पाइ–पाइ भँवर गिंजारे ।
कोरवन पाइ –पाइ भंवर गिंजारे ।
भँवर गिंजारे हो ललना , भँवर गिंजारे ।
पर्रा मे लगिंन लगाय मोरे ललना ॥

6 comments:

36solutions said...

बहुत बढिया गीत लिखेव संगवारी, गांव के होरी के दिन सुरता आ गे.


आप ला होरी के टुकना टुकना बधई.

युवराज गजपाल said...

हाव ग गाँव के होरी के सुरता आगे त ये गाना ल लिखे हाबोँ । ये विदेस मे तो कहाँ होली मनाबो , बस इटरनेट मे बैठ के होली के सुरता ल करत रथन ।

Udan Tashtari said...

युवराज भाई

हम तो आपसे याने हेमिल्टन से बिल्कुल पास है. हम टोरंटो में हैं-एजेक्स में...पिकरिंग के तुरंत बाद...फोन करिये या नम्बर भेजिये तो बात हो फिर मुलाकात हो...

मेरा नम्बर...९०५-४२६-२०८५.

इन्तजार रहेगा.

ASHOK BAJAJ said...

तोर गीत हा सुग्घर लागिस .कनाडा में रहि के मुजगहन ला नई भुलाये हस .जोहर --------.अशोक बजाज रायपुर

SAKET SHARMA said...

जबरदस्त.. आपको हिंदी दिवस की शुभकामनायें ..

Yogesh Amana Yogi said...

Very Nice ..plz visit my blog http://yogeshamana.blogspot.com/